WHY VASTU PUJA

वास्तु पूजन क्यों ?
शास्त्रों के अनुसार प्राचीनकाल में अंधकासुर दैत्य एवं भगवान शंकर के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में शंकर जी के शरीर से पसीने की कुछ बूंदें जमीन पर गिर पड़ीं। उन बूंदों से आकाश और पृथ्वी को भयभीत कर देने वाला एक विशालकाय प्राणी प्रकट हुआ। प्रकट होते ही यह प्राणी देवताओं को मारने लगा। तब सभी देवताओं ने उसे पकड़कर कर उसका मुंह नीचे करके दबा दिया और उसे शांत करने के लिये उसे यह वर दिया कि, 'सभी शुभ कार्यों में तेरी पूजा होगी।'
उस समय उसका मस्तक ईशान में, पैर नैरित्य में थे तथा दोनों पैरों के पद तल एक-दूसरे से सटे हुये थे। हाथ पैर की संधियां आग्नेय और वायव्य में थीं।
चूंकि देवताओं ने उस 'पुरुष' पर 'वास' किया था, इसलिये उसका नाम 'वास्तु पुरुष' पड़ा।
चूंकि उस महाबली पुरुष को औंधे मुंह दबाकर उस पर सभी देव बैठे हैं, इसलिये सभी बुद्धिमान पुरुष उसकी पूजा करते हैं। जो व्यक्ति उनकी पूजा नहीं करते हैं, उनको कदम-कदम पर बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
अत: तभी से भवन निर्माण में वास्तु देवता या वास्तु पुरुष कि बड़ा महत्व है और यही भवन के प्रमुख देवता या संरक्षक हैं।

Vikas P Deshpande

M. E. Civil, Structural Consultant

Vastu and Feng Shui Consultant

0434681647,deshpandevikas@gmail.com

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