BASEMENT VASTU
कल मैने बेसमेंट्स के प्रकार के विषय में लिखा था। आज प्रस्तुत है पहले प्रकार के बेसमेंट याने फुल बेसमेंट के वास्तु के विषय मैने विचार ( कहीं कोई चूक हुई होंठो अवश्य सूचित मुझे करें):
*फुल बेसमेंट (Full Basement) – वास्तु विश्लेषण: *
1. परिभाषा (Definition)
फुल बेसमेंट वह होता है जो *पूरे घर के क्षेत्रफल* के नीचे (ग्राउंड लेवल से नीचे) होता है।
यह आमतौर पर "सामान्य ऊंचाई (7–9 फीट)* की छत वाला, पूरी तरह से "उपयोग योग्य (usable)* क्षेत्र होता है – जैसे स्टोर, लिविंग रूम, होम ऑफिस या होम थिएटर के रूप में।
– मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स में
पार्किंग के लिए
*2. दिशा के अनुसार उपयोग (Directional Usage as per Vastu)*
*दिशा* उपयोग (Suggested Usage):
*उत्तर (North)* अध्ययन, ऑफिस, लाइट स्टोरेज (हलकापन बनाए रखना जरूरी)
*पूर्व (East)* योग, मेडिटेशन, (अति आवश्यक होने पर पूजा या रीडिंग एरिया)!
*उत्तर-पूर्व (NE)* खाली रखें या बहुत हल्के उपयोग (Meditation/Pooja/ Research)
*दक्षिण(South)* भारी स्टोरेज, स्टेप डाउन एरिया
*दक्षिण-पश्चिम (SW)* गोदाम, मजबूत संरचना; (परिवार के मुखिया का कमरा न बनाएं).
*पश्चिम (West)* मनोरंजन, थिएटर, जिम या लिविंग लाउंज
*उत्तर-पश्चिम (NW)* अतिथि कमरा, लाइट एक्टिविटी रूम
*दक्षिण-पूर्व (SE)*
मशीनरी, हीटर, वॉशिंग मशीन, जैसे उपकरणों के लिए
*नोट*
मल्टी स्टोरी अपार्टमेंट बिल्डिंग्स में पूरा र्क्षेत्र पार्किंग के लिए।
*3. सीढ़ियों की दिशा (Staircase Direction)*
बेसमेंट की ओर जाने वाली सीढ़ियाँ पश्चिम (W), दक्षिण (S) या दक्षिण-पश्चिम (SW) में बनाना शुभ होता है।
सीढ़ियाँ उत्तर-पूर्व (NE) दिशा में बिल्कुल नहीं बनानी चाहिए, यह मानसिक अस्थिरता और नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा सकती हैं।
ये सीढ़ियां *चढ़ते समय घड़ी के कांटो की दिशा में रहनी चाहिए।*
*(किंतु बेसमेंट की एंट्री द्वार ग्राउंड फ्लोर में सही पद में ही रखें) *.
*4. फर्श की ढलान (Floor Slope)*
फर्श की ढलान *दक्षिण-पश्चिम (SW) से उत्तर-पूर्व (NE)* की ओर होनी चाहिए।
जल निकासी भी उसी दिशा में होना चाहिए। संप वेल और सबमर्सिबल पंप का उपयोग कर सकते हैं।
फर्श की ढलानSE, S या SW की ओर ढलान बिल्कुल नहीं होनी चाहिए।
*5. ड्रेनेज सिस्टम (Drainage System)*
जल निकासी का प्रवाह उत्तर (N) या उत्तर-पूर्व (NE) की ओर होना चाहिए।
गंदे जल का निकास अन्य स्थान n मिलने पर दक्षिण-पूर्व (SE) में भी किया जा सकता है (अगर पाइपिंग के माध्यम से किया जाए)।
ड्रेनेज सिस्टम नमी-रोधी (damp-proof) होना चाहिए और वर्षा जल का अच्छा प्रबंधन आवश्यक है।
*6. रोशनी व वेंटिलेशन (Lighting & Ventilation)*
बेसमेंट में प्राकृतिक रोशनी कम होती है, इसलिए *अच्छी कृत्रिम रोशनी (LED, white lights)* का प्रयोग करें।
*वेंटिलेशन शाफ्ट्स, एग्ज़ॉस्ट फैन और विंडो वेल्स* का प्रयोग करना चाहिए, विशेषकर *उत्तर या पूर्व दिशा* में।
रोशनी का प्रवाह *ऊर्जा के प्रवाह को सक्रिय* बनाए रखता है।
*7. अन्य वास्तु सुझाव (Additional Vastu Tips)*
*गहरे रंगों से बचें* – केवल हल्के और सॉफ्ट रंगों का प्रयोग करें (जैसे क्रीम, ऑफ-व्हाइट, पेस्टल)।
*पूजा स्थल, बेडरूम, या किचन* फुल बेसमेंट में न बनाएं – ये ऊपरी मंज़िलों पर ही उपयुक्त होते हैं।
फुल बेसमेंट के *सीलन से बचाव के लिए वाटरप्रूफिंग अनिवार्य" है।
नियमित सफाई और सूखा वातावरण बनाए रखें।
Vikas P Deshpande
M. E. Civil, Structural Engineer.
Vastu Consultant, Feng Shui Consultant
34, Botany Boulevard, Kings Langley,
NSW-2147, Australia
Phones: +610434681647 (Sydney)
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